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Gaurtlab
Thursday, 7 April 2011
Saturday, 26 March 2011
कहीं देश में ..... !
आप बहुत सी जगह घूमे होंगे, जिनमे कुछ बेहद पसंद भी आये होंगे और कुछ नापसंद भी रहे होंगे, बहरहाल हम आपको एक ऐसी जगह के कुछ खास बातो को बताने जा रहे हैं, जिन्हें जानकार शायद आप भी उस जगह घूमने जाना पसंद करें, पर अफ़्सोश फ़िलहाल वहां जा पाना मुमकिन नहीं.
१- शहर में दाखिल होते ही एक अजीब सा चेक पोस्ट नजर आया जहाँ आदमी कम मशीने ज्यादा दिखी. गाड़ी के रुकते ही एक कैमरानुमा यन्त्र गाड़ी के नंबर प्लेट की तस्वीर उतारता मालूम पड़ा, सड़क पर बिछे एक प्लेट से गाड़ी का वजन डिस्प्ले होने लगा चेक पोस्ट पर बने एक चेंबर में बैठे आदमी से हमने पूछा की ये मशीन गाड़ी का वेट क्यों बता रही है तो उस आदमी ने हमे बताया की जब ड्यूटी पर कोई नहीं होता और बाइक पर दो से ज्यादा लोग सफ़र कर रहे होते हैं तो ये मशीन वेट पता कर कंट्रोलिंग ऑफिसर को मैसेज भेज देती है जिस से अगले चेक पोस्ट पर उन्हें गिरफ्तार कर जुर्माना वसूला जाता है. इसी तरह बड़े वाहन के लिए भी वेट मशीन जानकारी ऑफिसरों को भेजती है. हमने पूछा की ये कैमरा किस लिए, तो उस आदमी ने बताया की इस शहर में जितने चेक पोस्ट हैं वहां ऐसी ही व्यवस्था है जिससे शहर में गाड़ी के प्रवेश से लेकर बाहर निकलने तक उसकी जानकारी कंप्यूटर में दर्ज होती रहती है, आप किस रोड से कहाँ गए, कितने घंटे में कितनी दूरी तय किये, हमे सब पता रहता है, जिसकी वजह से इस शहर में कोई वारदात नहीं होने पाता.
उस आदमी की बात सुनकर मुझे लगा की काश हमारे शहर में भी ऐसा होता तो कितना अच्छा रहता. हर चेक पोस्ट से गुजरने वाली गाडियो के नंबर एक कंप्यूटर पर दर्ज रखे जाते तो अपराध में कितनी कमी आती और लोगो का झूठ पकड़ में आने लगता. खैर उस आदमी से इतनी पूछताछ करके हम आगे बढ़ गए.
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विज्ञापन का जमाना है, देखने वालो को विज्ञापन जम जाए इसके लिए सृजनात्मकता की ज्यादा जरुरत पड़ती है. हाल ही में फेविकोल का विज्ञापन देखा, साइकिल सवार चार पहिया वाहन के पीछे पड़ा साइड मांगता दिखाया गया है, परेशान ड्राईवर के गाड़ी की स्पीड के बावजूद साइकिल चार पहिया वाहन के पीछे पीछे "तेरा पीछा न छोडूंगा" के तर्ज पर नजर आती है, आखिर में दर्शको को मालूम चलता है की फेविकोल रखे होने की वजह से साइकिल गाड़ी से चिपकी चली जा रही है.
फेविकोल का विज्ञापन हमेशा से ही दर्शनीय रहा है और उसके विज्ञापनों ने दर्शको का मनोरंजन ही किया, फेविकोल के विज्ञापनों में थोड़ी अतिश्योक्ति जरूर झलकती है, फिर भी देखने वालो को मजा आता है. काश ऐसा सच में होता. धर्मांध हिन्दू-मुसलमान जब आग उगलते हुए एक दूसरे से भिड़ पड़ते हैं, तब फेविकोल भाईचारा बढाने का काम करता तो कितना अच्छा होता. फेविकोल कम्पनी को एक ऐसा भी विज्ञापन बनाना चाहिए जिसमे हिन्दू मुसलमान को उकसाने वाले अपना सर पीट लें मगर फेविकोल के असर से दोनों संप्रदाय के लोग एक दूसरे के खिलाफ खड़े न हों.
Tuesday, 8 February 2011
Doodhwala
मंहगाई के इस दौर में जब पानी भी १० से १५ रुपये में मिलता है, लोगो के लिए दूध पीने के लिए सोचना पड़ता है, उस पर शुद्ध दूध मिलता कहाँ है ? शुद्ध दूध के बारे में बीते दिनों एक दूध वाले की आपबीती सुनी, थोड़ी हैरानी हुई, आप भी गौर फरमाए -
कई साल पहले की बात है, शहडोल के उस दूधवाले से एक दिन राजेंद्र्ग्राम के कोई थानेदार साहब टकराए, बोले शुद्ध दूध क्या रेट दोगे, दूधवाला बोला १२ रूपये लीटर, थानेदार बोले कल से तीन लीटर घर पर दे दिया करो बस ये ख्याल रखना की दूध शुद्ध हो. दो दिन तक दूध वाला एकदम शुद्ध दूध थानेदार को देता रहा, तीसरे दिन जैसे ही वो दूधवाला थानेदार के घर पहुंचा, थानेदार भड़क पड़े, कैसा दूध देते हो, शुद्ध देना हो तो दो नहीं तो अपना रास्ता नापो. दूधवाला अपना सर खुजाने लगा की एकदम शुद्ध दूध देने के बाद भी थानेदार उस पर ऊँगली उठा रहे है. अगले दिन वो तीन लीटर दूध में एक लीटर पानी मिलकर लाया, उसके अगले दिन साहब बोले - कल का दूध ठीक रहा, ऐसा ही लाया करो. उसके बाद तीन साल तक वो दूध वाला थानेदार साहब के यहाँ बिना शिकवा शिकायत के अनवरत तीन लीटर दूध पहुचता रहा जिसमे एक लीटर पानी मिला रहता था.
कई साल पहले की बात है, शहडोल के उस दूधवाले से एक दिन राजेंद्र्ग्राम के कोई थानेदार साहब टकराए, बोले शुद्ध दूध क्या रेट दोगे, दूधवाला बोला १२ रूपये लीटर, थानेदार बोले कल से तीन लीटर घर पर दे दिया करो बस ये ख्याल रखना की दूध शुद्ध हो. दो दिन तक दूध वाला एकदम शुद्ध दूध थानेदार को देता रहा, तीसरे दिन जैसे ही वो दूधवाला थानेदार के घर पहुंचा, थानेदार भड़क पड़े, कैसा दूध देते हो, शुद्ध देना हो तो दो नहीं तो अपना रास्ता नापो. दूधवाला अपना सर खुजाने लगा की एकदम शुद्ध दूध देने के बाद भी थानेदार उस पर ऊँगली उठा रहे है. अगले दिन वो तीन लीटर दूध में एक लीटर पानी मिलकर लाया, उसके अगले दिन साहब बोले - कल का दूध ठीक रहा, ऐसा ही लाया करो. उसके बाद तीन साल तक वो दूध वाला थानेदार साहब के यहाँ बिना शिकवा शिकायत के अनवरत तीन लीटर दूध पहुचता रहा जिसमे एक लीटर पानी मिला रहता था.
Sunday, 30 January 2011
Tuesday, 25 January 2011
Journalism
कई साल बाद आज मैंने हिंदी फिल्म मि. इंडिया देखा, गौर करने वाली बात है की, पॉवर फुल हीरो की प्रेमिका एक पत्रकार है, फिल्म कृष में भी यही बात थी, सीरियल शक्तिमान में भी ऐसा था. क्या हीरो की हीरोइन को पत्रकार होना जरुरी है ?
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