Saturday 26 March, 2011

कहीं देश में ..... !

              आप बहुत सी जगह घूमे होंगे, जिनमे कुछ बेहद पसंद भी आये होंगे और कुछ नापसंद भी रहे होंगे, बहरहाल हम आपको एक ऐसी जगह के कुछ खास बातो को बताने जा रहे हैं, जिन्हें जानकार शायद आप भी उस जगह घूमने जाना पसंद करें, पर अफ़्सोश फ़िलहाल वहां जा पाना मुमकिन नहीं.

१- शहर में दाखिल होते ही एक अजीब सा  चेक पोस्ट नजर आया जहाँ आदमी कम मशीने ज्यादा दिखी. गाड़ी के रुकते ही एक कैमरानुमा यन्त्र गाड़ी के नंबर प्लेट की तस्वीर उतारता मालूम पड़ा, सड़क पर बिछे एक प्लेट से गाड़ी का वजन डिस्प्ले होने लगा चेक पोस्ट पर बने एक चेंबर में बैठे आदमी से हमने पूछा की ये मशीन गाड़ी का वेट क्यों बता रही है तो उस आदमी ने हमे बताया की जब ड्यूटी पर कोई नहीं होता और बाइक पर दो से ज्यादा लोग सफ़र कर रहे होते हैं तो ये मशीन वेट पता कर कंट्रोलिंग ऑफिसर को मैसेज भेज देती है जिस से अगले चेक पोस्ट पर उन्हें गिरफ्तार कर जुर्माना वसूला जाता है. इसी तरह बड़े वाहन के लिए भी वेट मशीन जानकारी ऑफिसरों को भेजती है. हमने पूछा की ये कैमरा किस लिए, तो उस आदमी ने बताया की इस शहर में जितने चेक पोस्ट हैं वहां ऐसी ही व्यवस्था है जिससे शहर में गाड़ी के प्रवेश से लेकर बाहर निकलने तक उसकी जानकारी कंप्यूटर में दर्ज होती रहती है, आप किस रोड से कहाँ गए, कितने घंटे में कितनी दूरी तय किये, हमे सब पता रहता है, जिसकी वजह से इस शहर में कोई वारदात नहीं होने पाता. 
             उस आदमी की बात सुनकर मुझे लगा की काश हमारे शहर में भी ऐसा होता तो कितना अच्छा रहता. हर चेक पोस्ट से गुजरने वाली गाडियो के नंबर एक कंप्यूटर पर दर्ज रखे जाते तो अपराध में कितनी कमी आती और लोगो का झूठ पकड़ में आने लगता. खैर उस आदमी से इतनी पूछताछ करके हम आगे बढ़ गए.

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               विज्ञापन का जमाना है, देखने वालो को विज्ञापन जम जाए इसके लिए सृजनात्मकता की ज्यादा जरुरत पड़ती है. हाल ही में फेविकोल का विज्ञापन देखा, साइकिल सवार चार पहिया वाहन के पीछे पड़ा साइड मांगता दिखाया गया है, परेशान ड्राईवर के गाड़ी की स्पीड के बावजूद साइकिल चार पहिया वाहन के पीछे पीछे "तेरा पीछा न छोडूंगा" के तर्ज पर नजर आती है, आखिर में दर्शको को मालूम चलता है की फेविकोल रखे होने की वजह से साइकिल गाड़ी से चिपकी चली जा रही है.
                 फेविकोल का विज्ञापन हमेशा से ही दर्शनीय रहा है और उसके विज्ञापनों ने दर्शको का मनोरंजन ही किया, फेविकोल के विज्ञापनों में थोड़ी अतिश्योक्ति जरूर झलकती है, फिर भी देखने वालो को मजा आता है. काश ऐसा सच में होता. धर्मांध हिन्दू-मुसलमान जब आग उगलते हुए एक दूसरे से भिड़ पड़ते हैं, तब फेविकोल भाईचारा बढाने का काम करता तो कितना अच्छा होता. फेविकोल कम्पनी को एक ऐसा भी विज्ञापन बनाना चाहिए जिसमे हिन्दू मुसलमान को उकसाने वाले अपना सर पीट लें मगर फेविकोल के असर से दोनों संप्रदाय के लोग एक दूसरे के खिलाफ खड़े न हों.